यात्रा का अंतिम चरण जशपुर में पूरा हुआ। जिन लोगों ने पहले जशपुर नहीं देखा था, उन्हें बताया गया था कि यह बेहद खूबसूरत इलाका है। पहाड़ों और झरनों से भरपूर। लोगों ने गलत नहीं बताया था। कुछ लोगों ने पहली बार पर्वतों को चूमते बादल देखे। यह दृश्य अद्भुत होता है। कुछ कुछ ऐसा मानो चाय के प्याले से भाप उठ रही हो। पर्वतों की श्रंृखलाएं यात्रियों का स्वागत करते चलती हैं। गहरी गहरी घाटियां प्रकृति के विराट स्वरूप के दर्शन कराती हैं।
यात्रा एक बेहद खूबसूरत मौसम में जशपुर इलाके से गुजरी। यह बारिश से भीगा मौसम था, चारो ओर हरियाली छाई थी, चिलचिलाती धूप और लू का नामोनिशान नहीं था। यात्रा के पहले चरण में अगर धूप के बावजूद हजारों लोग सभाओं में जुटते रहे तो अंतिम चरण में उन्होंने बारिश की परवाह नहीं की। बस्तर की यादें ताजा हो गईं।
मनेंद्रगढ़ में लोगों को अपेक्षा थी कि मनेंद्रगढ़ को कोरिया जिले का मुख्यालय घोषित किया जाएगा। यह इस इलाके की पुरानी मांग है। मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया कि यह फिलहाल प्रक्रिया में नहीं है। इससे लोगों में निराशा थी लेकिन साफ बात यह थी कि उन्हें कोई गलत आश्वासन नहीं मिला था।
मनेंद्रगढ़ से आगे बढ़ते ही बारिश शुरू हो गई। लगा कि आगे की सभाओं का क्या होगा? मगर सभाओं के दौरान अमूमन बारिश रुक जाती रही। हल्की फुल्की बौछारों की तो लोगों ने वैसे भी परवाह नहीं की।
मुख्यमंत्री से यह सवाल लगातार किया जाता रहा कि उनकी सभाओं में जो भीड़ जुट रही है, क्या वह सरकारी तंत्र द्वारा जुटाई गई भीड़ नहीं है? मनेंद्रगढ़ से बैकुंठपुर के बीच एक पत्रकार ने उनसे यही सवाल किया। मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि यात्रा का स्वागत निर्धारित जगहों पर ही नहीं हो रहा, रास्ते में भी जगह जगह लोग उनसे मिल रहे हैं और यात्रा का स्वागत कर रहे हैं। सरकार की योजनाओं को जो समर्थन मिल रहा है वह लोगों की संख्या ही से नहीं, उनके उत्साह से भी प्रकट होता है। लोग जिस गर्मजोशी से उनसे मिल रहे हैं, वह जुटाई गई भीड़ की गर्मजोशी नहीं है। मुख्यमंत्री का कहना था कि उन्होंने बहुत सी यात्राएं देखी हैं और की भी हैं। लेकिन ऐसा उत्साह पहली बार देख रहे हैं।
मुख्यमंत्री से और भी तरह तरह के सवाल किए जाते रहे। भटगांव में पत्रवार्ता में उनसे पूछा गया कि प्रदेश सरकार बहुत सी जनकल्याणकारी योजनाओं पर जो पैसा खर्च कर रही है, वह तो केंद्र सरकार का है? मुख्यमंत्री ने कहा- पैसा न तेरा है न मेरा है, वह जनता का है और उसी के लिए खर्च किया जा रहा है। योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में मिल रही छोटी बड़ी शिकायतों के सवाल पर उन्होंने चुटकी ली- शिकायतें तो राम राज्य में भी थीं, यह तो रमन राज है। फिर उन्होंने कहा- हम हालात को बेहतर करने की कोशिश करते आ रहे हैं, आगे भी करते रहेंगे।
तीन रुपया किलो चावल वाली योजना भाजपा सरकार की सबसे लोकप्रिय योजना के रूप में सामने आई। पूरी यात्रा के दौरान एक भी इलाका ऐसा नहीं मिला जहां इस योजना का लाभ नहीं पहुंच रहा है। पात्र लोगों के कार्ड न बनने और अपात्रों के नाम सूची में होने की शिकायतें जरूर मिलती रहीं लेकिन मुख्यमंत्री इसे स्वीकारते रहे और उन्होंने कहा कि इसे ठीक करने के लिए कहा जा चुका है। विपक्ष के कुछ नेताओं ने इस योजना को गरीबों का अपमान कहा है- इस पर पूरी यात्रा के दौरान डा. रमन सिंह चोट करते रहे। रिमझिम बारिश के बीच बैकुंठपुर की सभा में भी ्रउन्होंने कहा कि तीन रुपया किलो में चावल पाना जनता का अपमान नहीं, उसका हक है। यहां के लोग जमकर मेहनत करते हैं और जमकर खाना उनका अधिकार है।
कांग्रेस को वे लगातार कटघरे में खड़ा करते रहे। उन्होंने हर सभा में दावा किया कि ज्यादातर कांग्रेस के नेतृत्व वाले पिछले पचास बरस को देखें और पिछले साढ़े चार साल में छत्तीसगढ़ में होने वाले विकास को देखें तो पचास बरस पर साढ़े चार बरस में हुआ विकास भारी पड़ेगा।
जशपुर के घने जंगलों और पर्वतों-घाटियों के बीच से जब यात्रा गुजर रही थी तो सड़क किनारे आम बेचती चार महिलाओं से हमारी बात हुई। सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाओं से वे वाकिफ थीं। उनमें से कुछ ने स्कूल की पढ़ाई की थी। उनकी राजनीतिक चेतना के हम कायल हुए। उनसे पिछले और अभी के मुख्यमंत्री की तुलना करने को कहा गया तो उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। एक बोली-मुख्यमंत्री को अच्छा काम करना ही चाहिए। इसीलिए तो वे मुख्यमंत्री बनाए जाते हैं। एक और मौके पर एक तेज तर्रार बूढ़े ने कहा- सवा तीन रुपए मेंं सरकार चल रही है। उसका आशय तीन रुपया किलो चावल और पचीस पैसे किलो नमक से था। सरकार के कामकाज को लेकर ऐसी प्रतिक्रियाएं हमें रास्ते भर सुनने को मिलती रहीं। तीन रुपया किलो चावल हमें लगा कि सबसे लोकप्रिय योजना है। इसके हितग्राही प्रदेश के कोने कोने में हैं। यह जनता के लिए बहुत उपयोगी है। कोई भी गरीब परिवार इसे पाकर खुश ही होगा।
जशपुर में हम सभा से पहले पहुंच गए। सभास्थल की ओर जाने वाली सड़क विकास यात्रा के स्वागत के लिए सजी धजी हुई थी। हल्की बारिश हो रही थी, सड़क पर दूर तक छतरियां ही छतरियां दिखाई दे रही थीं। जितने लोग छतरियां लेकर खड़े थे, उनसे कई गुना ज्यादा लोग बगैर छतरियों के जमे हुए थे। दर्जनों नर्तक दल बारिश में भीगते हुए नाच रहे थे। बीस बीस किलो के नगाड़े गर्दन से लटकाए वादक पूरे जोश से उन्हें बजा रहे थे। यात्रा के आने में करीब घंटे भर की देर थी। और लोगों ने बताया कि नाच गान का यह सिलसिला सुबह से चल रहा है। सभा स्टेडियम में होनी थी। हमें लगा कि बारिश और देरी की वजह से शायद कम ही लोग रहेंगे। लेकिन हजारों लोग वहां मौजूद थे। एक पुलिसवाले ने बताया कि ये लोग सुबह से जमा हैं। कुछ तो रात में ही आ गए थे। पुलिसवाला खुद दोपहर से खड़ा था।
विकास यात्रा सभा स्थल पर पहुंची तो स्टेडियम में भीड़ बढऩे लगी। मैदान और गैलरियां खचाखच भर गईं। मंच पर उपस्थित नेताओं की खुशी उनके संबोधनों में झलकी। सबने लोगों के इस प्यार और समर्थन की प्रशंसा की, इसके लिए धन्यवाद दिया। रविशंकर प्रसाद, दिलीपसिंह जूदेव, राजनाथ सिंह और सबसे आखिर में डा. रमन सिंह बोले। राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह विकास यात्रा को मिले इस प्यार और समर्थन को देखकर अभिभूत थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में पैसे की नहीं, पसीने की इज्जत होनी चाहिए, प्रदेश सरकार यही कर रही है और इसीलिए जनता का इतना प्यार मिल रहा है। देश के दूसरे प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में हो रहे विकास को उन्होंने बेजोड़ बताया और यह भी कह डाला कि एक मुख्यमंत्री के रूप में डा. रमन सिंह उनसे भी बेहतर काम कर रहे हैं। उन्होंने महंगाई का मुद्दा उठाया और याद दिलाया कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में, विषम परिस्थितियों में भी महंगाई नियंत्रित थी। अगर महंगाई पर लगाम लगानी है तो केंद्र में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनानी होगी, लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाना होगा और प्रदेश में यह विकास यात्रा निरंतर चलती रहे, इसके लिए डा. रमन सिंह को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाना होगा। अंचल के लोकप्रिय नेता दिलीप सिंह जूदेव जब भाषण देने के लिए खड़े हुए तो स्टेडियम जय जूदेव के नारों से गूंज उठा। वैसे तो उनकी लोकप्रियता छत्तीसगढ़ के हर इलाके में है लेकिन जशपुर में बात ही कुछ और है। श्री जूदेव ने भी डा. रमन सिंह की संवेदनशीलता और उदारता की तारीफ की। उन्होंने बताया कि जशपुर से जितनी बार मुख्यमंत्री के दरबार में फरियादें पहुंचीं, मुख्यमंत्री ने कभी निराश नहीं किया।
दूसरे दिन पे्रस कांफ्रेंस के बाद हम लौटे। रास्ते भर विकास यात्रा के दृश्य याद आते रहे। और मुख्यमंत्री के शब्द कानों में गूंजते रहे कि प्रदेश में विकास की यात्रा यहीं थमने वाली नहीं है। यह पिछले साढ़े चार बरस से चल रही है और जनता ने चाहा तो आगे भी इसी तरह चलती रहेगी।
(डा. रमन सिंह के पहले कार्यकाल में हुई विकास यात्रा से लौट कर लिखी गई टिप्पणी)
यात्रा एक बेहद खूबसूरत मौसम में जशपुर इलाके से गुजरी। यह बारिश से भीगा मौसम था, चारो ओर हरियाली छाई थी, चिलचिलाती धूप और लू का नामोनिशान नहीं था। यात्रा के पहले चरण में अगर धूप के बावजूद हजारों लोग सभाओं में जुटते रहे तो अंतिम चरण में उन्होंने बारिश की परवाह नहीं की। बस्तर की यादें ताजा हो गईं।
मनेंद्रगढ़ में लोगों को अपेक्षा थी कि मनेंद्रगढ़ को कोरिया जिले का मुख्यालय घोषित किया जाएगा। यह इस इलाके की पुरानी मांग है। मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया कि यह फिलहाल प्रक्रिया में नहीं है। इससे लोगों में निराशा थी लेकिन साफ बात यह थी कि उन्हें कोई गलत आश्वासन नहीं मिला था।
मनेंद्रगढ़ से आगे बढ़ते ही बारिश शुरू हो गई। लगा कि आगे की सभाओं का क्या होगा? मगर सभाओं के दौरान अमूमन बारिश रुक जाती रही। हल्की फुल्की बौछारों की तो लोगों ने वैसे भी परवाह नहीं की।
मुख्यमंत्री से यह सवाल लगातार किया जाता रहा कि उनकी सभाओं में जो भीड़ जुट रही है, क्या वह सरकारी तंत्र द्वारा जुटाई गई भीड़ नहीं है? मनेंद्रगढ़ से बैकुंठपुर के बीच एक पत्रकार ने उनसे यही सवाल किया। मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि यात्रा का स्वागत निर्धारित जगहों पर ही नहीं हो रहा, रास्ते में भी जगह जगह लोग उनसे मिल रहे हैं और यात्रा का स्वागत कर रहे हैं। सरकार की योजनाओं को जो समर्थन मिल रहा है वह लोगों की संख्या ही से नहीं, उनके उत्साह से भी प्रकट होता है। लोग जिस गर्मजोशी से उनसे मिल रहे हैं, वह जुटाई गई भीड़ की गर्मजोशी नहीं है। मुख्यमंत्री का कहना था कि उन्होंने बहुत सी यात्राएं देखी हैं और की भी हैं। लेकिन ऐसा उत्साह पहली बार देख रहे हैं।
मुख्यमंत्री से और भी तरह तरह के सवाल किए जाते रहे। भटगांव में पत्रवार्ता में उनसे पूछा गया कि प्रदेश सरकार बहुत सी जनकल्याणकारी योजनाओं पर जो पैसा खर्च कर रही है, वह तो केंद्र सरकार का है? मुख्यमंत्री ने कहा- पैसा न तेरा है न मेरा है, वह जनता का है और उसी के लिए खर्च किया जा रहा है। योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में मिल रही छोटी बड़ी शिकायतों के सवाल पर उन्होंने चुटकी ली- शिकायतें तो राम राज्य में भी थीं, यह तो रमन राज है। फिर उन्होंने कहा- हम हालात को बेहतर करने की कोशिश करते आ रहे हैं, आगे भी करते रहेंगे।
तीन रुपया किलो चावल वाली योजना भाजपा सरकार की सबसे लोकप्रिय योजना के रूप में सामने आई। पूरी यात्रा के दौरान एक भी इलाका ऐसा नहीं मिला जहां इस योजना का लाभ नहीं पहुंच रहा है। पात्र लोगों के कार्ड न बनने और अपात्रों के नाम सूची में होने की शिकायतें जरूर मिलती रहीं लेकिन मुख्यमंत्री इसे स्वीकारते रहे और उन्होंने कहा कि इसे ठीक करने के लिए कहा जा चुका है। विपक्ष के कुछ नेताओं ने इस योजना को गरीबों का अपमान कहा है- इस पर पूरी यात्रा के दौरान डा. रमन सिंह चोट करते रहे। रिमझिम बारिश के बीच बैकुंठपुर की सभा में भी ्रउन्होंने कहा कि तीन रुपया किलो में चावल पाना जनता का अपमान नहीं, उसका हक है। यहां के लोग जमकर मेहनत करते हैं और जमकर खाना उनका अधिकार है।
कांग्रेस को वे लगातार कटघरे में खड़ा करते रहे। उन्होंने हर सभा में दावा किया कि ज्यादातर कांग्रेस के नेतृत्व वाले पिछले पचास बरस को देखें और पिछले साढ़े चार साल में छत्तीसगढ़ में होने वाले विकास को देखें तो पचास बरस पर साढ़े चार बरस में हुआ विकास भारी पड़ेगा।
जशपुर के घने जंगलों और पर्वतों-घाटियों के बीच से जब यात्रा गुजर रही थी तो सड़क किनारे आम बेचती चार महिलाओं से हमारी बात हुई। सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाओं से वे वाकिफ थीं। उनमें से कुछ ने स्कूल की पढ़ाई की थी। उनकी राजनीतिक चेतना के हम कायल हुए। उनसे पिछले और अभी के मुख्यमंत्री की तुलना करने को कहा गया तो उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। एक बोली-मुख्यमंत्री को अच्छा काम करना ही चाहिए। इसीलिए तो वे मुख्यमंत्री बनाए जाते हैं। एक और मौके पर एक तेज तर्रार बूढ़े ने कहा- सवा तीन रुपए मेंं सरकार चल रही है। उसका आशय तीन रुपया किलो चावल और पचीस पैसे किलो नमक से था। सरकार के कामकाज को लेकर ऐसी प्रतिक्रियाएं हमें रास्ते भर सुनने को मिलती रहीं। तीन रुपया किलो चावल हमें लगा कि सबसे लोकप्रिय योजना है। इसके हितग्राही प्रदेश के कोने कोने में हैं। यह जनता के लिए बहुत उपयोगी है। कोई भी गरीब परिवार इसे पाकर खुश ही होगा।
जशपुर में हम सभा से पहले पहुंच गए। सभास्थल की ओर जाने वाली सड़क विकास यात्रा के स्वागत के लिए सजी धजी हुई थी। हल्की बारिश हो रही थी, सड़क पर दूर तक छतरियां ही छतरियां दिखाई दे रही थीं। जितने लोग छतरियां लेकर खड़े थे, उनसे कई गुना ज्यादा लोग बगैर छतरियों के जमे हुए थे। दर्जनों नर्तक दल बारिश में भीगते हुए नाच रहे थे। बीस बीस किलो के नगाड़े गर्दन से लटकाए वादक पूरे जोश से उन्हें बजा रहे थे। यात्रा के आने में करीब घंटे भर की देर थी। और लोगों ने बताया कि नाच गान का यह सिलसिला सुबह से चल रहा है। सभा स्टेडियम में होनी थी। हमें लगा कि बारिश और देरी की वजह से शायद कम ही लोग रहेंगे। लेकिन हजारों लोग वहां मौजूद थे। एक पुलिसवाले ने बताया कि ये लोग सुबह से जमा हैं। कुछ तो रात में ही आ गए थे। पुलिसवाला खुद दोपहर से खड़ा था।
विकास यात्रा सभा स्थल पर पहुंची तो स्टेडियम में भीड़ बढऩे लगी। मैदान और गैलरियां खचाखच भर गईं। मंच पर उपस्थित नेताओं की खुशी उनके संबोधनों में झलकी। सबने लोगों के इस प्यार और समर्थन की प्रशंसा की, इसके लिए धन्यवाद दिया। रविशंकर प्रसाद, दिलीपसिंह जूदेव, राजनाथ सिंह और सबसे आखिर में डा. रमन सिंह बोले। राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह विकास यात्रा को मिले इस प्यार और समर्थन को देखकर अभिभूत थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में पैसे की नहीं, पसीने की इज्जत होनी चाहिए, प्रदेश सरकार यही कर रही है और इसीलिए जनता का इतना प्यार मिल रहा है। देश के दूसरे प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में हो रहे विकास को उन्होंने बेजोड़ बताया और यह भी कह डाला कि एक मुख्यमंत्री के रूप में डा. रमन सिंह उनसे भी बेहतर काम कर रहे हैं। उन्होंने महंगाई का मुद्दा उठाया और याद दिलाया कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में, विषम परिस्थितियों में भी महंगाई नियंत्रित थी। अगर महंगाई पर लगाम लगानी है तो केंद्र में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनानी होगी, लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाना होगा और प्रदेश में यह विकास यात्रा निरंतर चलती रहे, इसके लिए डा. रमन सिंह को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाना होगा। अंचल के लोकप्रिय नेता दिलीप सिंह जूदेव जब भाषण देने के लिए खड़े हुए तो स्टेडियम जय जूदेव के नारों से गूंज उठा। वैसे तो उनकी लोकप्रियता छत्तीसगढ़ के हर इलाके में है लेकिन जशपुर में बात ही कुछ और है। श्री जूदेव ने भी डा. रमन सिंह की संवेदनशीलता और उदारता की तारीफ की। उन्होंने बताया कि जशपुर से जितनी बार मुख्यमंत्री के दरबार में फरियादें पहुंचीं, मुख्यमंत्री ने कभी निराश नहीं किया।
दूसरे दिन पे्रस कांफ्रेंस के बाद हम लौटे। रास्ते भर विकास यात्रा के दृश्य याद आते रहे। और मुख्यमंत्री के शब्द कानों में गूंजते रहे कि प्रदेश में विकास की यात्रा यहीं थमने वाली नहीं है। यह पिछले साढ़े चार बरस से चल रही है और जनता ने चाहा तो आगे भी इसी तरह चलती रहेगी।
(डा. रमन सिंह के पहले कार्यकाल में हुई विकास यात्रा से लौट कर लिखी गई टिप्पणी)