सोमवार, 21 दिसंबर 2009

वही पुरानी आदतें

सादगी के साथ जनसेवा का नारा देने वाली छत्तीसगढ़ की पहली सरकार के बारे में सुविधाभोग और उसके लिए सरकारी सुविधाओं के दुरूपयोग की खबरें आनी शुरू हो गयी हैं। सबसे ताजा खबर यह है कि मंत्रियों के बंगलों में पेड़ पौधों को पानी देने के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ी बुलवाई जाती है। खबर के मुताबिक प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के बंगले में फायर ब्रिगेड से यही काम लिया जाता है और गृह राज्य मंत्री के बंगले पर इसके अलावा फर्श धोने के लिए भी फायर ब्रिगेड की गाड़ी और अमले का इस्तेमाल होता है। कुछ दिनों पहले प्रदेश सरकार के एक और मंत्री बदरूद्दीन कुरैशी के बारे में खबर आयी थी कि अपने घर के एक विवाह समारोह में उन्होंने काफी पैसा खर्च किया था और सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किया था। यह स्थिति तब है जब अकालग्रस्त गरीब लोगों की बदहाली की खबरें आना बंद नहीं हुई हैं। हाल ही में एक खबर छपी है कि अकाल के मारे एक गरीब मजदूर की हालत ऐसी थी कि उसके पास अपनी मृत पत्नी की लाश को घर ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। एक मजदूर की उरप्रदेश में मौत की खबर है और एक मजदूर अस्पताल में भरती है। ये सब पिछले एक दो दिनों की खबरों में है। ऐसी खबरें लगातार आ ही रही हैं। और जो खबरें आ रही हैं वे सिर्फ एक झलक हैं उस बदहाली की जो अंचल से पलायन करने वाले हजारों मजदूर परिवारों को झेलनी पड़ रही है। एक तरफ बदहाली और दूसरी तरफ सरकारी पैसों पर अय्याशी होती रही तो सरकार की छवि खराब होते देर नहीं लगेगी और उससे जो उम्मीदें बंधी हैं वे टूट जाएंगी।
छीसगढ़ के गरीब और जरूरतमंद लोगों को अभी बहुत उम्मीदें हैं। मयप्रदेश में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए छीसगढ़ राज्य बनाया गया है और जनता को बहुत सब्जबाग दिखाए गए हैं कि नए राज्य में वे राजघानी के अघिक करीब रहेंगे, उनकी बात सुनी जाएगी, उनकी समस्याओं का समाघान होगा, उनके साथ अन्याय नहीं होगा। अपना नेतृत्व होगा तो वह अपने लोगों के हितों के लिए काम करेगा। हमने तब भी इन सब्जबागों से सावघान रहने की चेतावनी दी थी और यह आशंका जताई थी कि मयप्रदेश की राजघानी की संस्कृति जस की तस छीसगढ़ की राजघानी में चली आएगी अगर यान नहीं दिया गया। जो खबरें आ रही हैं उनके मुताबिक ठीक यही हो रहा है। इसकी झलक तभी मिल गयी थी जब राज्य का मुख्यमंन्नी चुनने के लिए छोटे बड़े नेता अकाल का नाम तक भूल कर राजघानी में इकट्ठा थे। और राजघानी भी करोड़ों खर्च कर सजाई गयी थी। मंन्नियों के लिए बंगले सजाए गए थे। मुख्यमंन्नी के नाम से भी एक बंगला लाखों खर्च कर सजाया गया था। नेताओं के लिए न तब अकाल था न अब है। राज्य बनने से पहले जो भोपाल में डले रहते थे वे अब रायपुर में डले नजर आएं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। और जिस अय्याशी के भोपाल के बंगलों मंें रहा जाता था उसी तरह रायपुर के बंगलों में रहा जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए। लेकिन तब इस सरकार से वे उम्मीदें भी नहीं रहेंगी जो मुख्यमंन्नी अजीत जोगी ने जगाई है्‌ं।मुख्यमंन्नी बनने के बाद उन्होंने बार बार यह कहा कि वे इस अमीर राज्य की जनता को अमीर बनाना अपनी सबसे बड़ी प्राथमिकता मान कर चल रहे हैं। और फौरी तौर पर उन्होंने अपनी पाथमिकता अकाल से निबटने को बताया था। अपने मंन्नियों को सादगी से रहने की प्रेरणा उन्होंने दी थी और लाखों खर्च कर सजाए गए अपने बंगले में रहने नहीं गए। बाद में विघानसभा में उन्होंने अपने उन दिनों को याद किया था जब गरीबी और अभाव को उन्होंने झेला था। अपने साक्षात्कारों में, भाषणों में उन्होंने बार बार यह अहसास दिलाने की कोशिश की है कि वे इस उपेक्षित इलाके के उपेक्षित लोगों के दर्द को समझते हैं, उसकी दवा जानते हैं और यह दवा वे उन्हे ंउपलब्घ भी कराएंगे। लोग उनकी सरकार से उम्मीद लगाकर बैठे हैं कि वह नए ढंग से काम करेगी।
लेकिन सरकार के कुछ पुराने मंन्नियों की पुरानी आदतों और नए मंन्नियों की नई आदतों के चलते यह उम्मीद टूटती नजर आ रही है। जो खबरें आ रही हैं उनसे लगता है कि इस सरकार के मंन्नी भी दूसरी सरकारों के मंन्नियों की तरह अपने फायदे के लिए काम करने वाले हैं। जनता के हित की उन्हें चिंता नहीं है। जनता के बीच जाकर, जनता की तरह रहते हुए जनता के लिए काम करने वाले लोग ये नहीं हैं। ये वही बंगलों में रहने वाले लोग हैं जिनके दरवाजांें के भीतर जाने की हिम्मत हर गरीब आदमी नहीं कर सकता। राजघानी अभी भी गरीबों की पहुंच से उतनी ही दूर है जितनी पहले थी। मुख्यमंन्नी को इसकी फिक करनी चाहिए। अपने अनुभव से वे जानते हैं कि लोकतंन्न में जनता की राय का कितना महत्व होता है, यह बात वे कई बार कह चुके हैं। वे यह भी जानते होंगे कि जनता बहुत कुछ देखती रहती है और उसके बारे में अपनी राय बनाती रहती है। सरकार के मंन्नियों के आचरण पर भी उसकी नजर है। इससे अगर उसके दिल में गुस्सा सुलगेगा तो वह बगीचों में पानी देने वाली दमकल से नहीं बुझाया सकेगा।

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